जिंदगी की तलाश
जिंदगी की तलाश
मौजूदा समय इतनी तेजी के साथ बदल रहा है कि हर इंसान को समय के साथ बदलना पड़ेगा। यदि हम इस समय में खुद को ना बदल पाएं तो हमारी गिनती किसी और रूप में की जाएगी ।कहते हैं कि अपने व्यक्तित्व को सरल बनाएं पर क्या आज के समय में ज्यादा सरलता सही है ? जवाब शायद हममें से किसी को ना पता होगा। हां हो सकता है कि कुछ लोग हामी भर भी लें पर जवाब उनके पास भी संतुष्ट करने वाला नहीं होगा ।
हर दिन हमें खुशी नहीं मिलती ,ठीक वैसे ही हर दिन हम दुखी भी नहीं रहते हैं । कहते हैं सुख और दुःख हमारे जिंदगी का महत्वपूर्ण अंग है ,परन्तु यदि हमको जरा सा भी कष्ठ हो जाए तो उसे विपत्ति समझ लेंगे और यह प्रक्रिया काफी तीव्र होती है । इसके बाद तो मानलो की जैसे दुनिया का सबसे दुखी इंसान हम ही हैं।
हम किसी भी जगह तुरंत परिणाम चाहते हैं और हमें परिणाम भी अपने हिसाब से मिलना चाहिए । हम अपनी खुशी को धीरे धीरे किसी ना किसी चीजों से जोड़ते जा रहे हैं । यदि हम जो चाहते हैं वो ना मिले तो फिर हम दुखी औेर मिल जाए तो खुशी ।अब इस पर जानकारों का कहना है कि ऐसी सोच और समझ हमारी जिंदगी को कभी भी सुकुं नहीं दे सकती । हम हमेशा इन्हीं सब कारणों से उलझे रहेंगे और इन्हीं में हमारी जिंदगी समाप्त हो जाएगी ।
आज के समय में कोई व्यक्ति अपने पास पड़ोस के लोगों से नहीं बल्कि एक आभासी दुनिया में खुशी को तलाशता है जो कि क्षणिक है ,
जो अगर खुशी हमें देती भी है तो पल भर में छीन भी लेती है । हम आज के दौर के स्मार्टफॉन में इतने ज्यादा खो गए हैं कि जो सच में दुनिया है वो हमारे पास से चली गई है। पड़ोसी का चेहरा तक ना देखते हैं और हम सोशल मीडिया पर दोस्त की तलाश में लगे रहते हैं । शायद हमारी सोच बिल्कुल बदल गई है , और अंत में हम जिंदगी की तलाश करते हैं,,,,,,,,,,,,,,,,,,। Divyanshu Singh
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