ATI NEWS
पड़ताल हर खबर की ...

नारी हूं ,सबल भी हूं बुद्धि ,विवेक में प्रबल भी हूं।

0

नारी हूं ,सबल भी हूं बुद्धि ,विवेक में प्रबल भी हूं।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस एक मज़दूर आंदोलन से उपजा , न्यूयॉर्क में साल 1908 में 15 हज़ार औरतों ने अपने मौलिक अधिकारों के लिए मोर्चा निकाला और नौकरी में काम का समय कम करने, बेहतर वेतन देने की मांग की । अगस्त 1910 में ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटजरलैंड में एक वार्षिक महिला दिवस की स्थापना का प्रस्ताव रखा।

“आज की महिला किसी पर भी निर्भर नहीं हैं। वह हर मामले में आत्मनिर्भर और स्वतंत्र हैं मनुष्य प्रधान कहे जाने वाले पुरुषों के बराबर सब कुछ करने में सक्षम भी है। हमें महिलाओं का सम्मान लिंग के कारण नहीं, बल्कि स्वयं की पहचान के लिए करना होगा। हमें यह स्वीकार करना होगा कि घर और समाज की बेहतरी के लिए पुरुष और महिला दोनों समान रूप से योगदान करते हैं। यह जीवन को लाने वाली महिला है। हर महिला विशेष होती है, चाहे वह घर पर हो या ऑफिस में।

वह अपने आस-पास की दुनिया में बदलाव ला रही हैं, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बच्चों की परवरिश और घर बनाने में एक प्रमुख भूमिका भी निभाती है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उस महिला की सराहना करें । इनका सम्मान करें जो अपने जीवन में सफलता हासिल कर रही हैं साथ ही अन्य महिलाओं और अपने आस-पास के लोगों के जीवन में सफलता ला रही हैं।

समाज का दर्पण हैं महिलाएं

वर्तमान स्थिति में नारी ने जो साहस का परिचय दिया है, वह आश्चयर्यजनक है। आज नारी की भागीदारी के बिना कोई भी काम पूर्ण नहीं माना जा रहा है। समाज के हर क्षेत्र में उसका परोक्ष – अपरोक्ष रूप से प्रवेश हो चुका है।

आज तो कई ऐसे प्रतिष्ठान एवं संस्थाएं हैं, जिन्हें केवल नारी संचालित करती है। हालांकि यहां तक का सफर तय करने के लिए महिलाओं को काफी मुश्किलों एवं संघर्षों का सामना करना पड़ा है और महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए अभी आगे मीलों लम्बा सफर तय करना है, जो दुर्गम एवं मुश्किल तो है लेकिन महिलाओं ने ही ये साबित किया है कि वो हर कार्य को करने में सक्षम हैं।

आज की महिलाएं…

राष्ट्र की प्रगति व सामाजिक स्वतंत्रता में शिक्षित महिलाओं की भूमिका उतनी ही अहम् है जितनी कि पुरुषों की और इतिहास इस बात का प्रमाण है कि जब-जब नारी ने आगे बढ़कर अपनी बात सही तरीके से रखी है, समाज और राष्ट्र ने उसे पूरा सम्मान दिया है और आज की नारी भी अपने भीतर की शक्ति को सही दिशा निर्देश दे रही है। यही कारण है कि वर्तमान में महिलाओं की प्रस्थिति एवं उनके अधिकारों में वृद्धि स्पष्ट देखी जा सकती है।

आज समाज में लैंगिक समानता को प्राथमिकता देने से भी लोगों की सोच में बहुत भारी बदलाव आया है। अधिकारिक तौर पर भी अब नारी को पुरुष से कमतर नहीं आका जाता। यही कारण है कि महिलाएं पहले से अधिक सशक्त और आत्मनिर्भर हुई है। जीवन के हर क्षेत्र में वे पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मजबूती से खड़ी हैं और आत्मबल, आत्मविश्वास एवं स्वावलंबन से अपनी सभी जिम्मेदारी निभाती है। वर्तमान में महिला को अबला नारी मानना गलत है। आज की नारी पढ लिखकर स्वतंत्र है अपने अधिकारों के प्रति सजग भी है। आज की नारी स्वयं अपना निर्णय लेती है।

भारत में महिलाओं का स्वर्णिम इतिहास

देवी अहिल्याबाई होलकर, मदर टेरेसा, इला भट्ट, महादेवी वर्मा, राजकुमारी अमृत कौर, अरुणा आसफ अली, सुचेता कृपलानी और कस्तूरबा गांधी आदि जैसी कुछ प्रसिद्ध महिलाओं ने अपने मन-वचन व कर्म से सारे जग-संसार में अपना नाम रोशन किया है। कस्तूरबा गांधी ने महात्मा गांधी का बायां हाथ बनकर उनके कंधे से कंधा मिलाकर देश को आजाद करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इंदिरा गांधी ने अपने दृढ़-संकल्प के बल पर भारत व विश्व राजनीति को प्रभावित किया है। कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स जैसी एस्ट्रोनॉट ने न केवल हमें गौरवांवित किया बल्कि इस बात का प्रमाण भी दिया कि मौका मिलने पर महिलाएं हर काम को करने में सक्षम हैं।                                      Radha Singh The ATI News राधा सिंह

  

Leave A Reply

Your email address will not be published.