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50 दिन तड़पने के बाद परिवार को आखरी बार देखने को नसीब हुआ बेटे का शव
50 दिन तड़पने के बाद परिवार को आखरी बार देखने को नसीब हुआ बेटे का शव
वीर बहादुर सिंह | 15-08-2020
रोजी रोटी की तलाश में लोग क्या कुछ नहीं करते । लोगो की जब अपने देश में उनकी और उनके परिवार के जरूरते पूरी नहीं होती । तो वह उसे पूरा करने के लिए न चाहते हुए भी दूसरे देशों में काम की तलाश में चले जाते है । गोरखपुर जिले के गगहा के गंभीरपुर के एक परिवार का इकलौता बेटा राकेश कुमार चौधरी घर की माली हालत सुधारने दोहा कतर में काम करने चला गया । जहां तकरीबन एक साल बाद उसकी मौत हो जाती है ।
जानकारी के मुताबिक गंभीरपुर निवासी रामसरन चौधरी का एकलौता बेटा राकेश कुमार चौधरी परिवार की माली हालत सुधारने के लिए विदेश जाने का फैसला किया। 15 मई 2019 को विदेश के लिए उड़ान भरी और वहां पर नौकरी भी ठीक ठाक मिल गई। परिवार वाले भी खुश रहने लगे क्योंकि अब उनके भी धीरे धीरे अच्छे दिन आ रहे थे । लेकिन किसी को क्या पता था खुशियां ज्यादा दिन तक रहने वाली नहीं है ।
मगर 26 जून को काम करने के दौरान ही ऐसी चोट लगी कि उसकी मौत ही हो गई। 26 जून को बेटे राकेश के मौत की खबर आने के बाद परिवार सदमे में आ गया । पूरे परिवार अड़ोस पड़ोस में मातम छा गया । जब परिवार वालों को उसकी मौत की ख़बर मिली तब लोग अपने बेटे को आखरी बार देखने की इच्छा जाहिर करने लगे । और अपने बेटे के शव को स्वदेश लाने की गुहार लगाने लगे । वह अपनी इसी इच्छा को जाहिर करते हुए गांव के किसान नेता विकास सिंह से संपर्क किया तो फिर ट्विट और सांसद कमलेश पासवान की पहल पर किसी तरह से शुक्रवार की सुबह शव गांव पहुंचा।
शव के गांव पहुँचते ही हर तरफ रोने की आवाज आने लगी । मानो सब कुछ थम सा गया हो । जिस बेटे को ऊगली पकड़कर बाप ने चलना सिखाया था और सोचा था मेरे बुढ़ापे का सहारा बनेगा आज उसी बेटे को कंधा देना था । शुक्रवार को शव आने के बाद मुक्तिपथ पर दाह संस्कार किया गया। कांपते हाथों से पिता ने बेटे को मुखाग्नि दी गई
Saurce : Amar ujala
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