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…काश सुबह का नाश्ता थोडा़ और मिल गया होता : कोविड मरीजों का दर्द
Rana Singh | 04-09-2020
जौनपुर । जनपद के एल 2 (ट्रामा सेंटर की मरीजों का दर्द है कि रात के 9 बजे का खाए खाए फिर दोपहर 1 बजे खाना मिलता है । इस दरमियान बीच में सुबह का जो नाश्ता होता है चना और दूध वह बहुत ही कम मात्रा में मिलता है। काश वो थोडा़ और मिल जाता तो भूख और कोविड से लड़ने में और मजबूती मिलती।T
क्या कहते है डी०के० सिंह ( ट्रामा सेंटर हेड )
मरीजों को पहले नाश्ते में पूडी़ और सब्जी दी जाती थी लेकिन कई मरीजों में कोविड19 के अलावा भी क़ई अन्य रोग होते हैं जिसमें आॅयली चीजें उनके लिए हानिकारक हो जाती हैं जिसके कारण से डाॅयट में बदलाव करते हुए चना व दूध की व्यवस्था कराई गई । मात्रा की बात की जाए तो सभी मरीजों को एक समान ही खाने को दिया जाता है और खाने की टेडंरिंग विभाग में उपर के लोगों द्वारा किया जाता है जिनसे इस बात की शिकायत की जाएगी की नाश्ते में थोडी़ बढोत्तरी कर दी जाए।
क्या कहता है जर्नलिस्ट
मौके पर (ट्रामा सेंटर ) जर्नलिस्ट राना ने देखा कि पहले के अपेक्षा अब ट्रामा सेंटर में साफ सफाई का विशेष ध्यान दिया गया है , कुछ पुराने ठीक हुए मरीजों से भी फीडबैक लेने के लिए फोन के माध्यम् से बात किया तो उन्होने भी ट्रामा सेंटर के स्वास्थ्य टीम की व उनके कार्यों को सराहा । वही ट्रामा सेंटर के हेड डॉ डी.के. सिंह से भी सरकारी सुविधाओं व मरीजों के व्यवहार के बारे में जानने का प्रयास किया गया जिसपर उन्होने भी अच्छे रवैया की ही बात की उन्होने बताया की जिलाचिकित्साधिकारी ट्रामा अस्पताल के सभी चीजों का समय समय पर निरीक्षण करते रहते हैं और किसी भी चीजों की आवश्यकताओं पर उसे तुरंत मुहैया कराते हैं।
ट्रामा सेंटर में मिली कुछ खामियाँ !
अस्पताल में कार्यरत अधिकारियों के लिए सरकार रहने खाने व आने जाने की व्यवस्था कराई है लेकिन जर्नलिस्ट ने तहकीकात में पाया की कोविड 19 के देखभाल में लगे डॉक्टर्स/कर्मचारी अपने निजी वाहनों से पर्सनल ड्राईवर को लेकर चलते हैं गहन जाँच करने पर पता चला की जनपद के पीलीकोठी स्थित तिलक रेसाॅर्ट में कर्मचारी नियमित रूप से रूकते नहीं हैं कोविड मरीजों के इलाज के बाद वे अपने निजीवाहनों से घर को चले जाते हैं .
जिससे की उनके व उनके ड्राईवर के परिवार व सगे सम्बन्धियों में भी कोविड19 के फैलने के अनुमान ज्यादा हैं और वहीं दूसरी तरफ ट्रामा सेंटर के डॉक्टर्स जो कोविड19 के मरीजों के ट्रीटमेंट के लिए लगाए गए हैं , जो की सुचारू रूप से तिलक रेसॉर्ट (कोविड19 के डॉ. के रहने की जगह ) में रह रहें हैं उनका कहना है कि एक एक कमरे में चार चार कर्मचारियों को रखा जा रहा है , शौचालय और स्नानघरों को भी सबको मिलकर ही इस्तेमाल करना पड़ रहा है जिससे की एक दूसरे को संक्रमित होने के अनुमान ज्यादा हैं। बात की जाए डॉक्टर्स व मरीजों के खाना बनाने वाले बावर्चियों/स्टाफ का तो वे ना तो मास्क का इस्तेमाल कर रहें हैं और ना ही मास्क का जिससे की उनमें व उनसे अन्य को संक्रमण फैलने के चाँस ज्यादा हैं।
डॉक्टर्स पर लग रहे आरोप !
डाॅक्टर्स पर खुद का कोविड टेस्ट न कराने के आरोप लग रहे हैं।
केराकत सामुदायिक केंद्र के अधिक्षक डाॅ राजेश कुमार जिनकी ड्यूटी कोविड अस्पताल (ट्रामा सेंटर ) में आॅन काॅल पर लगी थी जो हाल ही में अपनी ड्यूटी समाप्त कर वापस से CHC केराकत गए उनपर आरोप लगा है कि वे अपना कोविड19 का परीक्षण नहीं करवाए जिससे सामुदायिक केंद्र केराकत के 12 कर्मचारी संक्रमित हो गए ।
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मामले की पड़ताल के लिए जब जर्नलिस्ट ने डॉ.राजेश से सम्पर्क करना चाहा तो उन्होने अपनी व्यस्थता बताते हुए बिना जवाब दिए ही फोन सम्पर्क समाप्त कर दी वहीं अन्य कर्मचारियों से (CHC केराकत ) पूछताछ करने पर पता चला की डॉ . राजेश ने 10 अगस्त से 24 अगस्त तक कोविड 19 के ट्रामा सेंटर ंअस्पताल में ड्यूटी किया , जिस दरमियान उन्होने कोविड 19 के 3 मरीजों का इलाज भी किया उसके बाद वे बिना परीक्षण करवाए CHC केराकत पर नियमित आने लगे । वहीं कुछ कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया की कोविड अस्पताल में ड्यूटी लगे होने के बावजूद डॉ . राजेश घर और CHC आते जाते थे।
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Very good Rana Singh , keep it up