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अज़रबैजान और आर्मेनिया के बीच युद्ध का तीसरा दिन
रवीन्द्र कुमार तिवारी (लहर)। 02/10/2020

एक तरफ जहां पूरी करोना से जूझ रही है वही अज़रबैजान और आर्मेनिया के मध्य युद्ध शुरू हो गया है। दोनों देश सुलह समझौते को मानने को तैयार नहीं है। यहां तक बात फिर भी ठीक थी लेकिन इसी बीच तुर्की के बयान और पाकिस्तान का युद्ध में कूदना महायुद्ध की चेतावनी है। हालांकि पाकिस्तान यह काम लुके छिपी से कर रहा है परंतु अज़रबैजान के एक जाने माने पत्रकार के द्वारा यह सूचित किया गया।पाकिस्तान का युद्ध में कूदना और अपने सैनिकों को भेजना अपने आप में खतरनाक है।
यह विश्व युद्ध की शुरुआत भी हो सकती है। तुर्की का अज़रबैजान के साथ खुलकर आने के कारण पाक भी अजरबैजान के साथ खड़ा हुआ है। क्योंकि पाक तुर्की के साथ दोस्ती मजबूत होने का इशारा भी कर रहा है ।पिछले कुछ दिनों में तुर्की और भारत के रिश्तों में अाई खटाश के कारण पाक इसे भारत के खिलाफ मौका समझ रहा है,और तुर्की से रिश्ते और मजबूत करने में लगा है। आर्मेनिया के साथ जर्मनी फ्रांस रूस कहीं ना कहीं परोक्ष रूप से खड़े हुए हैं।
क्या है मामला?
दरअसल इस विवाद का केंद्र नागोर्नो-काराबाख का पहाड़ी इलाक़ा है जिसे अज़रबैजान अपना कहता है, हालांकि 1994 में ख़त्म हुई लड़ाई के बाद से इस इलाक़े पर आर्मीनिया का कब्ज़ा है।
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बताते चलें कि 1980 के दशक के अंत से 1990 के दशक तक चले युद्ध के दौरान 30 से 35हज़ार लोगों को मार डाल गया और 11लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए थे।उस दौरान अलगावादी ताक़तों ने नागोर्नो-काराबाख के कुछ इलाक़ों पर कब्ज़ा जमा लिया, हालांकि 1994 में युद्धविराम के बाद भी यहां गतिरोध जारी है।अज़रबैजान और आर्मेनिया दोनों पूर्व सोवियत संघ के हिस्सा थे और लगभग 1920 के आसपास दोनों सोवियत संघ में शामिल हुए थे ।