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चीन की नई चाल
इधर कमांडर स्तरीय वार्ता को लेकर चीन अपने आप में तना हुआ है उधर उधर उसने एक नई चाल चली है । चाल यह है कि भारत के सीमा से मात्र 30 किलोमीटर दूर तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर सुपर डैम बनाने की योजना चीन कर रहा है। यह सर्वविदित है कि तिब्बत के पीछे छुपकर चीन ने डोकलाम, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश जैसे भारतीय क्षेत्रों में चीन अपनी दादागिरी दिखाने से नहीं चूकता है परंतु हाल ही के वर्षों में भारत का जवाब इतना मजबूती से रहा है की वह खुद सोचने पर मजबूर हो जाता है। बात करे तो गलवान घाटी की घटना के बाद चीन कहीं ना कहीं आंतरिक रूप से आहत हुआ है।
चीन का ब्रह्मपुत्र नदी पर लगभग विश्व का सबसे बड़ा डैम बनाने की योजना कहीं ना कहीं भारत को खतरे का संकेत करती है क्योंकि यह एक बृहद जल राशि होगी जो किसी भी क्षेत्र में बाढ़ जैसी तबाही मचाने में सक्षम होगी। इसके अलावा असम और अरुणा चल प्रदेश जैसे क्षेत्रों में वहां की कृषि को भी प्रभावित करने में तनिक भी कोर कसर नहीं छोड़ेगा। ब्रह्मपुत्र नदी भारत के बाद बांग्लादेश में प्रवेश करती है और यह भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है कि भारत इस नदी का पानी समुचित उपयोग में लाए और अपने क्षेत्रों को सिंचित करें।
भारत को चीन के इस चाल से निपटने के लिए निश्चय ही एक स्थाई एवं उचित निर्णय लेने की आवश्यकता है तथा अपने आप में यह भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि यदि इस डैम का जवाब भारत के पास हो तो तत्काल उसे प्रभावी किया जाए अन्यथा उसका जवाब ढूंढा जाए।
चीन के इस परियोजना पर विषय विशेषज्ञों की माने तो यदि चीन कभी भारत के साथ युद्ध में उलझता है तो चीन अपने इस वाटर डैम को भारत के साथ हथियार के रूप में प्रयोग कर सकता है जिससे भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में जान माल की काफी नुकसान हो सकता है और भारत की अर्थव्यवस्था को डगमगा सकता है । भारत को चीन के इस चाल से निश्चय ही सतर्क रहना होगा और अपने सैन्य क्षमता एवं निर्णय क्षमता को हमेशा मजबूत बनाए रखना होगा।
लेखक : रवीन्द्र कुमार तिवारी (लहर)