उत्तर प्रदेश। ग्राम पंचायतों (Gram Panchayats) में बने पंचायत भवनों (Panchayat buildings) को संचालित (driven) करने के लिए सरकार (government) की तरफ से नियुक्त (appoint) किए गए पंचायत सहायक (Panchayat Assistant) मानदेय (honorarium) के मामले में ग्राम प्रधान (Head of Village) पर भारी पड़ गए हैं। सरकार ने उनके लिए प्रति महीना छह हजार रुपए की मानदेय निर्धारित की है। ग्राम प्रधान केवल साढ़े तीन हजार रुपये ही पाते हैं। इससे प्रधानों के अंदर कुंठा (frustration) और निराशा (Disappointment) का भाव देखा जा रहा है।
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मजे की बात है कि प्रधान खुद अपने ग्राम निधि के खाते (fund accounts) से ही पंचायत सहायकों को यह मानदेय प्रति महीने प्रदान करेंगे। ग्राम पंचायतों में बनाये गए पंचायत भवनों के एक छत के नीचे गाँव वालों (villagers) को सरकार की सभी सुविधाओं (facilities) का लाभ मिलेगा। सरकार की तरफ से चलाई जाने वाली विभिन्न योजनाओं (schemes) की जानकारी भी यहीं से मिल जाएगी। इसके लिए सरकार ने मानदेय के आधार पर पंचायत सहायकों/डाटा एंट्री ऑपरेटर (data entry operator) की नियुक्ति 11 माह के लिए की है। सेवा संतोषजनक होने पर उन्हें आगे भी नवीनीकृत (upgraded) किया जा सकेगा। सरकार ने पंचायत सहायकों को नियुक्त करने के लिए इंटर पास की योग्यता (ability) निर्धारित की है। जबकि उन्हें सभी काम कम्प्यूटर (computer) पर करने हैं। अब देखना होगा कि पंचायत सहायक अपने दायित्वों (obligations) को पूरा करने में कितना सफल (successful) होते हैं।
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क्योंकि ज्यादातर चयनित अभ्यर्थियों (Selected Candidates) को कंप्यूटर चलाने की जानकारी ही नहीं है। सबसे अहम बात यह है कि ग्राम पंचायतों में नियुक्त पंचायत सहायक ग्राम प्रधानों से ज्यादा मानदेय पाएँगे। वर्तमान समय में ग्राम प्रधान साढ़े तीन हजार रुपए ही मानदेय पा रहे हैं। जबकि पंचायत सहायकों को छह हजार रुपये प्रतिमाह मिलेगा। यह मानदेय प्रधान ही ग्राम निधि के खाते से उपलब्ध कराएँगे। पंचायत सहायकों के मानदेय से प्रधानों के अंदर निराशा देखी जा रही है। क्योंकि वह भी लंबे समय से अपना मानदेय बढ़ाने की माँग (demand) कर रहे हैं। सरकार की तरफ से ध्यान नहीं दिया जा रहा है।