उत्तर प्रदेश। सियासी गलियारों (political corridors) में एक बात अक्सर (often) कही जाती है कि दिल्ली (Delhi) का रास्ता उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से होकर जाता है। अगले कुछ महीनों में यहाँ विधानसभा चुनाव (Assembly elections) होने हैं और माना जा रहा है (It is believed) कि इसके नतीजे (results) 2024 के लोकसभा चुनावों (Lok Sabha elections) पर भी असर (affect) डालेंगे।
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यही वजह है कि इन यूपी (UP) के विधानसभा चुनावों पर पूरे देश (country) की नज़र है। 2022 के विधानसभा चुनावों में क्या होगा यह तो भविष्य (future) के गर्त (trough) में है, फिलहाल हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि सूबे के पहले विधानसभा चुनावों में क्या-क्या हुआ था। हम बताएँगे कि आज सूबे (province) की सियासत (politics) में हाशिए पर खड़ी (on the margins) कांग्रेस (Congress) ने कैसे उन चुनावों (elections) में 388 सीटें (seats) जीतकर (by winning) तहलका मचा (uproar) दिया था। 1951 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में कुल 14 पार्टियों ने शिरकत (attend) की थी।
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वहीं, उत्तर प्रदेश प्रजा पार्टी (Uttar Pradesh Praja Party) और उत्तर प्रदेश रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (Uttar Pradesh Revolutionary Socialist Party) नाम के प्रादेशिक दलों (regional parties) ने भी चुनाव लड़ा (Contested) था, और निर्दलीय (independent) तो थे ही। 1951 के चुनावों में भाग participate in elections) लेने वाली अधिकांश पार्टियों (most parties) का या तो अस्तित्व (Existence) ही मिट गया (is erased) या उनके नाम एवं रूप बदल (change) गए।