कानपुर। एक तरफ जहाँ विजयादशमी (Vijayadashmi) पर जगह-जगह रावण का पुतला दहन किया तो वहीं कानपुर (Kanpur) में एक ऐसा मंदिर है, जहाँ रावण की पूजा होती है। यह मंदिर करीब 130 साल पुराना है। इस दशानन मंदिर के द्वार साल में सिर्फ एक बार ही खुलते हैं। दशहरे (Dussehra) के दिन यहाँ पूरे विधि-विधान से रावण (Ravan) की पूजा-अर्चना होती है।
सन् 2023 से अयोध्या में होने लगेंगे रामलला के दर्शन, नवंबर में रखी जाएगी मंदिर की दूसरी नींव….
मंदिर के पुजारी (priest) बताते हैं कि विजयादशमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में यह मंदिर खोला जाता है। इसके बाद गंगाजल (gangajal) और दूध से रावण की मूर्ति को स्नान कराया जाता है। फूलों से श्रृंगार करने के बाद रावण स्तुति और आरती भी होती है। दिनभर पूजा-पाठ (worship) करने के बाद शाम को द्वार बंद कर दिया जाता है।