आगरा। कोरोना (Corona) की दूसरी लहर के बाद शुरू की गई पैसेंजर ट्रेनों (passengers train) को रेलवे ने मेल/एक्सप्रेस (mail express) बनाकर ट्रैक पर उतारा था। इससे यात्रियों को लगा कि नए कलेवर में ट्रेन की स्पीड बढ़ जाएगी। परंतु रेलवे (railway) ने चुपके से पैसेंजर ट्रेनों का किराया भी मेल/एक्सप्रेस जैसा कर दिया।
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रेलवे के इस निर्णय से यात्रियों (passengers) की जेब काफ़ी हल्की होने लगी है। जब गरीब यात्री टिकट खिड़की (ticket counter) पर यात्रा (journey) के लिए पहुँचे तो उन्हें कोरोना से पहले लगने वाले किराए से दोगुने से अधिक किराए (train fare) का भुगतान करना पड़ा। यात्रियों का कहना है कि गरीब यात्रियों को पैसेंजर ट्रेनों में सफ़र (travel) करना महँगा पड़ रहा है। रेलवे को किराया कम करना चाहिए।
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