वाराणसी। वे उम्र के 75वें पड़ाव पर हैं और रोज बालू (रेत) खाती हैं। अपनी इस अजीबोगरीब आदत की वजह से वह गाँव में चर्चा का विषय (topic of discussion) बन चुकी हैं। उनका नाम है कुसुमावती देवी। वे बताती हैं कि प्रतिदिन वह एक पाव से आधा किलो तक बालू (Sand) खाती हैं।
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आश्चर्य की बात यह है कि उनकी यह आदत तकरीबन 60 साल से है, लेकिन वह पूरी तरह से स्वस्थ और निरोग (healthy) हैं। कुसुमावती देवी बताती हैं कि जब वह 18 साल की थीं, तब एक वैद्य (Vaidya) के कहने पर इन्होंने कंडे की राख (cane ashes) खाना शुरू किया था, जो धीरे-धीरे बालू में बदल गया। अब तो बालू खाना उनकी दिनचर्या (routine) बन चुका है।
सुबह चाहे वह नाश्ता भले न करती हों, लेकिन समय से बालू जरूर खाती हैं। और वह भी गंगा नदी (Ganga river) का बालू। जिसके लिए इनके नाती-पोते बकायदा इंतजाम करते हैं। और यह उसे धोकर साफ करती हैं और खाने योग्य (edible) बना लेती हैं।
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