आज़ादी की चमक क्या आपको दिखती है, हमें तो इन अँधेरे गाँवों में कहीं दूर तक भी नहीं दिखती !
जौनपुर। आज़ाद भारत (Independent India) में साँस लेते हुए लोगों को 75 वर्ष हो चुके हैं लेकिन आज भी सुविधाओं (facilities) के नाम पर अटकलें कहीं-ना-कहीं दिखाई दे ही जाती हैं। जौनपुर (Jaunpur) के मल्हनी विधानसभा में एक गाँव है जिसका नाम कंधरपुर है। इस गाँव की खासियत कुछ इस प्रकार है कि आज भी यहाँ बिजली के अभाव (lack of electricity) में चलने वाली वस्तुओं का प्रचलन है या यूँ कहें कि देखने को मिल जाती हैं। धूप से चार्ज होने वाली लाइट (sun charged light) का इस्तेमाल (use) शायद सबसे ज़्यादा यह गाँव ही करता है।
मोबाइल (mobile) का रीचार्ज (recharge) तो आपने सुना होगा, लेकिन इन्हें मोबाइल की चार्जिंग (charging) के नाम पर भी पैसे चुकाने पड़ते हैं।
नाइट रिपोर्टर्स (Night Reporters) की टीम से बात करते हुए एक बूढ़ी माँ ने जो कहा वह दिल को ही नहीं कह सकते बल्कि शरीर के हर हिस्से को झंकझोर कर रख दिया। बात कुछ यूँ थी कि, अँधेरे (darkness) के कारण यहाँ कई बच्चों का देहांत (death) भी हुआ है। कारण कुछ इस प्रकार की अँधेरे में खेलते हुए बच्चे साँप या अन्य प्रकार के जहरीले जीव-जंतुओं (poisonous animals) के चपेट में आ जाते हैं।
सौभाग्य योजना (Saubhagya Yojana) , उज्जवला योजना (Ujjawala Yojana) और ऐसी तमाम हजारों-करोड़ों की सैकड़ों योजनाएँ (plans) जो दूर ना कर पाई इस अँधेरे को।
प्रशासन (Administration) बेसुध है, कंधरपुर की नट बस्ती के 100 घर आज़ादी (Independence) के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी बस एक उजाले भरे बल्ब (bulb) की आस में बैठे हुए हैं। जौनपुर के 9 विधानसभा में आने वाला यह विधानसभा यानी मल्हनी चुनाव (Malhani elections) को देखते हुए तैयार होना शुरू हो चुका है। सपा (SAPA) का यह गढ़ (Citadel) रहा है, लंबे अरसे से यहाँ सपा का राज है। लेकिन अगर बात करें अन्य पार्टियों की तो आज़ादी के बाद से बारी-बारी से लगभग सभी पार्टियों का इस पर अधिकार रहा है। तरक्की (development) और सुविधाओं का जो नज़ारा था वह team ATI के Night Reporters ने दिखाया।
इस खबर को आप तक पहुँचाने में सहयोग था Veer Bahadur Singh व Anubhav Mishra का और आवाज़ थी Rana Singh की।