पुराने सत्र की पुस्तकें दान कर पाएँ नए सत्र की किताबें, मेरठ के केंद्रीय विद्यालय ने शुरू की अनोखी पहल
मेरठ। आज के दौर में अगर हम शिक्षा (Education) की बात करें तो मध्यम वर्ग (middle class) के लिए बच्चों को पढ़ाना एक बड़ी चुनौती होती जा रही है। वहीं गरीब आदमी तो अपने बच्चों को शिक्षा भी दिला पाने का सामर्थ्य नहीं रखते। ऐसे में सरकार (government) द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उन्हें मुफ़्त शिक्षा (free education) भी दिलाई जाती है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे स्कूल के बारे में बताएँगे जिस स्कूल में अनोखी पहल की गई है। जहाँ पर बच्चों (child) को किताब (book) के महत्व का वास्तविक अर्थ समझाया जा रहा है।]
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जिस प्रकार से वह अपनी पुरानी किताबों के माध्यम से दूसरों को शिक्षित कर सकते हैं। जी हाँ, मेरठ कैंट (Meerut cantt) स्थित केंद्रीय विद्यालय सिख लाइंस (Kendriya Vidyalaya Sikh lines) में एक मुहीम चलाई जा रही है कि पुराने सत्र की पुस्तकें दान कर नए सत्र की पुस्तकें प्राप्त करें। केंद्रीय विद्यालय सिख लाइंस के प्राचार्य नवल सिंह ने बताया कि कोरोना काल (Corona period) में इस मुहीम को शुरू किया गया था।
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इस मुहीम के प्रति बच्चों में काफ़ी उत्साह देखने को मिल रहा है। जो बच्चे कक्षा आठ से पास करके कक्षा 9 में प्रवेश कर रहे हैं वह अपने जूनियर्स (juniors) के लिए पुस्तकों को दान करते हैं। वहीं जो उनके सीनियर होते हैं। वह उनके लिए दान करते हैं। ऐसे में जो भी बच्चे स्वैच्छिक पुस्तकों को लेना चाहते हैं। स्कूल प्रबंधन द्वारा उन सभी को पुस्तकें उपलब्ध कराई जा रही हैं। स्कूल प्रशासन (School Administration) की मानें तो उनका कहना है कि देखा जाता है कि पास होने के बाद बच्चे पुस्तक को रद्दी में बेच देते हैं।
जबकि विद्या बेचने के लिए नहीं होती। इसी भाव को उनमें जगाने के लिए इस मुहीम को शुरू किया गया है। जिससे वह पुस्तक को रद्दी में बेचने के बजाय उनको दान (donate) करें। जिससे अन्य बच्चे उसे पढ़ सकें। इससे दो फायदे होंगे, बच्चों के माता-पिता पर किताबों का भार नहीं पड़ेगा। वहीं कागज के लिए जिस तरीके से पेड़ों का कटान (felling of trees) होता है।
उस पर भी रोक लगेगी और पर्यावरण (environment) भी सुरक्षित रहेगा। बताते चलें कि मेरठ (Meerut) के कई स्कूलों में इस तरह की मुहीम (campaign) शुरू कर दी गई है। ऐसे में सभी स्कूल इस मुहीम के साथ आगे आएँ तो एक बड़ा बदलाव शिक्षा के क्षेत्र (field of education) में देखने को मिल सकता है।