ज्ञानवापी मस्जिद मामले की सुनवाई कर रहे जज को सताने लगा अपनी जान का डर, कहा परिवार को है मेरी सुरक्षा की चिंता
वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi mosque) के अंदर वीडियोग्राफी (videography) की अनुमति देने वाले वाराणसी (Varanasi) की अदालत (court) के जज ने अपने फैसले के दौरान कहा कि उनका परिवार उनकी सुरक्षा (safety) को लेकर बहुत चिंतित है क्योंकि “एक सामान्य नागरिक मामले (general civil affairs) को एक असाधारण मुद्दे में बदल दिया गया है।” वाराणसी की निचली अदालतों (lower courts) के सीनियर डिवीजन (senior devision) में सिविल जज (civil judge) रवि कुमार दिवाकर ने अपने फैसले में लिखा है कि, “डर का माहौल बनाया गया है। ऐसा डर कि मेरा परिवार उनकी और मेरी सुरक्षा के बारे में चिंतित था।
जब भी मैं अपने घर से बाहर निकलता था, मेरी पत्नी को मेरी सुरक्षा की चिंता होती थी। मीडिया (media) में कुछ खबरें थीं कि मैं सर्वेक्षण स्थल का दौरा करूँगा लेकिन मेरी माँ ने मुझे ऐसा नहीं करने के लिए कहा क्योंकि उन्हें मेरी सुरक्षा की चिंता थी। बता दें कि अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि याचिकाकर्ताओं (petitioners) की माँग के अनुसार, ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर सभी जगहों पर वीडियोग्राफी की जा सकती है। अप्रैल में, अदालत ने पाँच हिंदू महिलाओं (Hindu women) की वर्षों से वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की पश्चिमी दीवार के पीछे हिंदू मंदिर (Hindu mandir) में जाने की अनुमति माँगने वाली याचिकाओं के बाद निरीक्षण (Supervision) का आदेश दिया।
साइट (site) वर्तमान में वर्ष में एक बार प्रार्थना के लिए खुली है। महिलाओं ने वहाँ नियमित रूप से और अन्य “पुराने मंदिर परिसर (temple complex) के भीतर दृश्यमान और अदृश्य देवताओं” से प्रार्थना करने की अनुमति माँगी। स्थानीय अदालत (local court) ने पहले अधिकारियों को 10 मई तक एक रिपोर्ट (report) सौंपने का निर्देश दिया था। मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी को लेकर विवाद (controversy) के कारण पिछले शुक्रवार को शुरू हुआ सर्वेक्षण (Survey) पूरा नहीं हो सका।
कोर्ट ने गुरुवार को अपने आदेश (order) में कहा है कि 17 मई तक सर्वे पूरा करना है। ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति (Gyanvapi Mosque Management Committee) के वकील अभय नाथ यादव ने अदालत के आदेश को अवैध (illegal) बताते हुए कहा कि वकील इसे जल्द ही चुनौती देंगे।