ATI NEWS
पड़ताल हर खबर की ...

UP की गौशालाओं में गहरा सकता है चारे का संकट, केन्द्र सरकार ने भूसा संकट को स्वीकार कर लगाया दूध के दामों में बढ़ोत्तरी का अंदेशा

0

यूपी। उत्‍तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की गौशालाओं में पशुओं के चारे का संकट (fodder crisis) गहरा गया है। इसी के चलते सूबे के सभी जिलाधिकारियों (DM’s) से करीब दो लाख टन भूसा दान में लेने का लक्ष्य रखा गया है। इधर बुधवार को केंद्र सरकार (central government) ने भी भूसा संकट (straw crisis) को स्वीकार किया है। पशुपालन मंत्री संजीव बालियान (Animal Husbandry Minister Sanjeev Balyan) ने कहा है कि कई किसानों ने भूसे का दाम बढ़ने की शिकायत की है। मंत्री से किसानों ने कहा कि दूध के दाम न बढ़ने से किसान (farmers) अपने मवेशी (cattles) बेच रहे हैं।

ज्ञानवापी के बाद अब काशी के धरधरा मस्जिद को बताया जा रहा विष्णु मंदिर, कोर्ट में पेश हुआ वाद

मंत्री ने माना कि भूसे का संकट गहरा है उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया कि भूसे का विकल्प साइलस (silus) बनाने पर सरकार जोर देगी। संजीव बालियान ने कहा कि भूसे की कमी है और हरियाणा सरकार (Haryana government) ने भूसा बेचने पर रोक लगा दी है जिससे अफ़रा-तफ़री और फैली है। लेकिन इसका दाम मार्केट फोर्सेस (market forces) तय करती है। हम इसमें ज़्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं। केंद्र सरकार को भी हालात की गंभीरता का अंदाजा है।

लेकिन उनका कहना है कि इस मामले पर साइलस यानि पैकिंग चारे (packing feed) के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। बताते चलें कि किसानों की तरफ से सरकार पर दूध की कीमत को बढ़ाने की माँग की जा रही है। किसानों का कहना है कि भूसे के आसमान छूते भाव ने किसानों को मवेशी तक बेचने पर मजबूर कर दिया है।‌ यूपी में भूसे का संकट कितना गंभीर है इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि बाजार में गेहूँ (wheat) 2000 रुपए क्विंटल है और भूसा 1400 से 1600 रुपए क्विंटल। आजादी (independence) के बाद पहली बार भूसे की महँगाई (inflation) ने किसानों के ‘पशुपालन का अर्थशास्त्र’ (economics of animal husbandry) बिगाड़कर रख दिया है।

UP के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में गर्भगृह की रखी आधारशिला, भव्य रूप से मनाया गया कार्यक्रम

उत्तर प्रदेश में भूसा संकट को लेकर किसानों का कहना है कि छुट्टा पशुओं के चलते इस बार लोगों ने गेहूँ कम बोया था। चारे वाली फसल किसान कर ही नहीं पा रहा है। इसके वजह से भी भूसे का संकट है। ऐसी स्थिति में आसानी से समझा जा सकता है कि चारे की महँगाई से छुट्टा मवेशियों की तादात बढ़ने और सरकार के लिए गौशालाओं (Gaushalas) में 8 लाख से ज्यादा मवेशियों के लिए 10 लाख टन से ज़्यादा भूसे का इंतज़ाम करना कितनी बड़ी-बड़ी चुनौती है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.