ट्रांसजेंडर समुदाय की हुई ऐतिहासिक जीत, प्राची और रूथ जॉन की मेडिकल ऑफिसर के पद पर हुई नियुक्ति….
तेलंगाना। तेलंगाना (Telangana) में पिछले हफ़्ते प्राची राठौर (Prachi Rathore) और रूथ जॉन कोयाला (Ruth John Koyala) ने इतिहास रच दिया। दरअसल, ये दोनों पहली ट्रांसजेंडर (transgender) जोड़ी बनी है, जिसे राज्य में सरकारी नौकरी (government job) हासिल हुई है। प्राची और रूथ जॉन को राज्य सरकार (State government) द्वारा संचालित उस्मानिया जनरल अस्पताल (Osmania General Hospital) में मेडिकल ऑफिसर (medical officer) के तौर पर नियुक्त किया गया है। दोनों का Sarkari Naukri के लिए चुना जाना ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए ऐतिहासिक जीत (epic win) है। ये समुदाय सरकारी सेक्टर में अपनी भागीदारी के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहा है।
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ऐसे में देर से ही सही मगर ट्रांसजेंडर्स का प्रतिनिधित्व शुरू हो गया है। खम्मम जिले (Khammam district) की रहने वाली डॉ रूथ जॉन ने कहा, ‘ये मेरे और मेरे समुदाय (community) के लिए बहुत बड़ा दिन है। मुझे इस बात की उम्मीद नहीं थी, क्योंकि 2018 में ग्रेजुएट (graduate) होने के बाद मुझे हैदराबाद (Hyderabad) के 15 अस्पतालों से रिजेक्शन झेलना पड़ा। उन्होंने मुझे सीधे तौर पर कभी नहीं बताया कि रिजेक्शन की वजह मेरी पहचान है, लेकिन ये बहुत स्पष्ट होता था।’ अपने सफ़र को याद करते हुए उन्होंने कहा, ‘एमबीबीएस (MBBS) के बाद जब मेरी पहचान दुनिया के सामने आ गई, तो मेरी क्वालिफिकेशन (qualification) किसी भी अस्पताल (hospital) के लिए मायने नहीं रखती थी।’
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डॉ रूथ जॉन ने हैदराबाद के मल्ला रेड्डी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (Malla Reddy Institute of Medical Sciences) से पढ़ाई की है। डॉ प्राची की कहानी भी बिल्कुल डॉ रूथ की तरह ही रही है। उन्होंने प्राइवेट सेक्टर में काम करने के दौरान जेंडर चेंज का प्रोसेस शुरू किया। 30 वर्षीय डॉक्टर ने बताया, ‘जब प्राइवेट अस्पताल को ट्रांजिशन (transition) के बारे में मालूम चला, तो मुझे वहाँ से जाने को कहा गया। उन्होंने मेरे साथ रूखा व्यवहार करते हुए कहा कि मेरी पहचान की वजह से मरीज अस्पताल में आना बंद कर देंगे।’ डॉ प्राची ने अदिलाबाद (Adilabad) के RIMS से MBBS की डिग्री हासिल की है।
वहीं, दोनों ही डॉक्टर्स लगातार मिल रहे रिजेक्शन के बाद USAID के ट्रांसजेंडर क्लिनिक ‘मित्र’ पहुँचे, जो नारायणगुडा (Narayanguda) में स्थित है। 2021 में ‘मित्र’ ज्वाइन करने के बाद उनकी रोजी-रोटी शुरू हुई। हालांकि, ये वो समय था, जब दोनों डॉक्टर्स काम के साथ-साथ सर्जरी के प्रोसेस (process of surgery) से गुज़र रहे थे। ये उनके लिए कठिन समय था। डॉ रूथ का कहना है कि अब भी कुछ मरीज है, जो उनके साथ भेदभाव (discrimination) करते हैं। लेकिन ऐसे भी लोग हैं, जो इलाज (treatment) के बाद ठीक हो जाते हैं। वे फिर दूसरे मरीजों (patients) को भी हमारे पास भेजते हैं। हालांकि, अभी भी दोनों को एक लंबी लड़ाई लड़ने की ज़रूरत है।
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