आरोपियों को परेशान करने के लिए औजार के रुप में हरगिज़ न हो कानून का इस्तेमाल : सुप्रीम कोर्ट….
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने एक मामले में सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून (Law) का इस्तेमाल आरोपियों (victims) को परेशान करने के लिए एक औजार (tool) के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही अदालतों को हमेशा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि तुच्छ मामले कानून की पवित्र प्रकृति को खराब ना करें। जस्टिस कृष्ण मुरारी और एस आर भट्ट की पीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) के पिछले साल अगस्त के फैसले के खिलाफ एक अपील (appeal) पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि कानून निर्दोषों की रक्षा के लिए ढाल की तरह है। उन्हें डराने के लिए तलवार के रूप में इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने मद्रास उच्च न्यायालय के पिछले साल अगस्त के फैसले के खिलाफ एक अपील पर सुनवाई की। दरअसल, मद्रास हाईकोर्ट ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट (drugs and cosmetics act) 1940 के प्रावधान के कथित उल्लंघन के संबंध में एक आपराधिक शिकायत (criminal complaint) को रद्द करने की याचिका खारिज कर दी थी। जिसके बाद याचिकाकर्ताओं (the petitioners) ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
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इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दो लोगों के खिलाफ चेन्नई (Chennai) की एक अदालत में लंबित आपराधिक कार्यवाही (pending criminal proceedings) को रद्द कर दिया। जस्टिस कृष्ण मुरारी और एस आर भट की पीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय के पिछले साल अगस्त के फैसले के खिलाफ एक अपील पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि मामले में प्रारंभिक जाँच (initial check) और शिकायत दर्ज करने के बीच चार साल से अधिक का अंतर था। इसके अलावा पर्याप्त समय बीत जाने के बाद भी शिकायत में दावों को साबित करने के लिए कोई सबूत (proof) नहीं दिया गया था।