कोरोना के बढ़ते प्रकोप के चलते दुनियां में फिर बढ़ेगा मंदी का ख़तरा, जानें वजह….
दुनियां में फिर से कोरोना (Corona) का ख़तरा मंडराने लगा है। जिस तरह से दुनियां के केंद्रीय बैंक (Central bank) ब्याज दरें (interest rates) बढ़ा रहे हैं और अगले साल भी दरों को बढ़ाने के संकेत दे रहे हैं, उससे दुनियां में मंदी (Global Recession) के हालात भी बनने का ख़तरा है। जिसको लेकर रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (Reserve Bank of India) की चिंताएँ काफी बढने लगी हैं।
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रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट (RBI Report) के अनुसार, रिस्क बैलेंस (risk balance) डार्क ग्लोबल आउटलुक (dark global outlook) की ओर झुका हुआ है और दुनियां की उभरती बाज़ार अर्थव्यवस्थाएँ (market economies) यानी EME ज़्यादा कमज़ोर दिखाई दे रही है, जबकि इकोनॉमिक आंकड़ों (economic data) से पता चलता है कि ग्लोबल इंफ्लेशन (global inflation on peak) अपने पीक पर हो सकती है। आरबीआई (RBI) ने अपनी ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ रिपोर्ट में कहा कि महंगाई (Dearness) थोड़ी कम हो सकती है, लेकिन अगले साल भी यह टारगेट से ज़्यादा रहने की संभावना है। महंगाई पर काबू पाने के लिए इस साल मई से रेपो रेट (repo rate) में 225 आधार अंकों की बढ़ोत्तरी के बाद आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडियन इकोनॉमी के लिए ग्रोथ आउटलुक को डॉमेस्टिक ड्राइवर की ओर से सपोर्टिड है। भारत में मजबूत पोर्टफोलियो फ्लो की वजह से नवंबर में इक्विटी बाजारों (equity markets) ने नई ऊंचाईयों को छुआ।
महंगाई 6 फीसदी पर स्थिर रहने के बावजूद सब्ज़ियों की कीमतों में गिरावट के कारण खुदरा महंगाई (retail inflation) में 0.90 फीसदी की गिरावट देखने को मिली और रिटेल इंफ्लेशन का लेवल 5.9 फीसदी पर आ गया। रिपोर्ट के अनुसार, इनपुट कॉस्ट (input cost) में कमी, कॉरपोरेट सेल्स (corporate sales) में तेजी और फिक्स्ड असेट्स (fixed assets) में निवेश (Investment) की वजह से इंडियन इकोनॉमी (Indian Economy) के ग्रोथ में तेजी देखने को मिल सकती है। आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में रिस्क बैलेंस तेजी से डार्क ग्लोबल आउटलुक की ओर झुका हुआ है। इसका कारण भी है। दुनियांभर के सेंट्रल बैंकों ने मॉनेटरी पॉलिसी (Monetary policy) के तहत जो एक्शंस लिए हैं उनका खामियाज़ा भुगतना होगा।
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रिपोर्ट के अनुसार, उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाएँ (ईएमई) धीमी वृद्धि और बढ़ती महंगाई के अलावा करेंसी (currency) में गिरावट और कैपिटल आउट फ्लो (capital out flow) की वजह से और भी कमजोर दिखाई दे रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लोन (loan) का संकट बढ़ रहा है व डिफॉल्ट रेट में तेजी देखने को मिल रही है।