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उत्तराखंड। उत्तराखंड (Uttarakhand) के हल्द्वानी रेलवे भूमि प्रकरण (Haldwani Railway Land Case) को लेकर सियासत (politics) तेज हो गई है। बनभूलपुरा और गफूर बस्ती में रेलवे की करीब 70 एकड़ जमीन से करीब चार हजार से अवैध (illegal houses) घरों को हटाने के लिए रेलवे (railway), पुलिस (police) और प्रशासन (administration) ने कमर कस ली है। इसके लिए आरपीएफ (RPF) समेत पीएसी (PAC) की कंपनियां को भी बुलाया गया है।
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इसके विरोध में पूर्व सीएम हरीश रावत (Ex CM Harish Rawat) मामले को लेकर हल्द्वानी में उपवास पर बैठे हैं। रावत ने रेलवे भूमि के अतिक्रमण के मामले में कहा कि पुराने समय से रह रहे लोगों का पुनर्वास (rehabilitation) किया जाना जरूरी है। इस बीच रेलवे ने इस मामले में अपना पक्ष रखा है। रेलवे ने कहा, ‘2013 में अवैध खनन (Illegal mining) को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट (Nainital Highcourt) ने स्वत: संज्ञान लिया था। हाईकोर्ट ने कहा कि रेलवे और प्रशासन संयुक्त रूप से सर्वे करके अतिक्रमण का पता लगाए।’ रेलवे ने कहा, ‘सर्वे (survey) में पता चला है कि 2.2 किलोमीटर की लंबाई में अतिक्रमण हुआ है। 4365 मकान अवैध हैं।’ डीएम (DM) ने 29 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम (International Stadium) का निरीक्षण किया था। इस दौरान उन्होंने नगर निगम (Municipal council) को सफाई करने, जलसंस्थान (Water Institute) को स्टेडियम में पानी चलाने और लोक निर्माण विभाग (Public Works Department) को जनरेटर, शौचालय, स्नानघर और किचन बनाने के निर्देश दिए थे।
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मिनी स्टेडियम हल्द्वानी में भी पानी, शौचालय, स्नानघर बनाने के निर्देश दिए थे। उधर, लोक निर्माण विभाग ने किचन और शौचालय बनाने का काम शुरू कर दिया है। जलसंस्थान ने अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में पानी की व्यवस्था कर दी है। मिनी स्टेडियम में भी स्नानघर बनाए जा रहे हैं। हल्द्वानी रेलवे भूमि का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) पहुंच गया है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हल्द्वानी के शराफत खान समेत 11 लोगों की याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद की ओर से दाखिल की गई थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार 5 जनवरी 2023 को सुनवाई (hearing) करने को कहा है।
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