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सपा के जाति जनगणना पर बैठकों के जवाब में बीजेपी करेगी ओबीसी सम्मेलन….

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश में बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच ओबीसी वोटरों को लुभाने की जंग तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी पहले ही जहां जाति जनगणना की मांग कर नया सियासी दांव खेला है वहीं बीजेपी भी अब उसका तोड़ निकालने में जुटी है। वहीं दूसरी ओर 25 फरवरी से 5 मार्च तक जाति जनगणना को लेकर आंदोलन चलाने का फैसला किया है। सपा संगोष्ठी और आंदोलन के जरिए लोगों को बताएगी कि जिसकी आबादी अधिक उसकी गिनती जरुरी है। दरअसल समाजवादी पार्टी बिहार में जाति जनगणना के मुद्दे पर जेडीयू की तरह आक्रामक रुख अख्तियार करना चाहती है। इसके लिए पार्टी के कई नेता सक्रिय हैं।

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इससे पहले सपा ने पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान जारी इलेक्शन मैनिफेस्टो में भी जाति जनगणना का वादा किया था। इसकी शुरुआत वाराणसी से हो रही है। यह पूरा कार्यक्रम तीन दिन तक चलेगा। इसमें समाजवादी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ और समाजवादी बाबा साहब अम्बेडकर वाहिनी को शामिल किया गया है। संगोष्ठी को ‘जातीय जनगणना कराए सरकार, सबको सम्मान अधिकार’ नाम दिया गया है। हालांकि कुछ समय पहले उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि जाति जनगणना राज्यों का विषय है। वह किसी भी तरह की जाति जनगणना के विरोधी नहीं हैं। यूपी की दूसरी पार्टियों में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी जाति जनगणना की मांग कर रही है। 1931 तक भारत में जातिगत जनगणना होती थी।

साल 1941 में जनगणना के समय जाति आधारित डेटा एकत्रित भी किया गया, लेकिन प्रकाशित नहीं किया गया। 1951 से 2011 तक की जनगणना में हर बार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का डेटा दिया गया, लेकिन ओबीसी और दूसरी जातियों का नहीं। पिछली बार की तरह ही इस बार भी एससी और एसटी को ही जनगणना में शामिल किया गया है। दरअसल ओबीसी की लिस्ट केंद्र और राज्यों में अलग है। कुछ जातियां ऐसी हैं जो राज्यों में ओबीसी में शामिल हैं। लेकिन केंद्र की लिस्ट में उनकी गिनती ओबीसी में नहीं होती।

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