होली मनाने पर पाबंदी से BHU में बवाल के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने वापस लिया फैसला…..
वाराणसी: उत्तर प्रदेश के बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) में होली को लेकर नया फरमान जारी हुआ था अब ये वापस ले लिया गया है। इसके तहत बीएचयू परिसर में होली खेलने पर प्रतिबंध लगाया गया था। छात्रों ने इसका कड़ा विरोध किया है। स्टूडेंट्स ने विरोध जताते हुए यूनिवर्सिटी में जमकर होली खेली। फैसला वापस लेने पर छात्रों में खुशी की लहर दौड़ गई है। लोगों ने कहा अखिरकार प्रशासन को सद्बुद्धि आई। इससे पहले सुरक्षा व आपसी सौहार्द का हवाला देकर कैंपस में होली को आयोजन बैन किया गया था। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों से नए छात्रों का हुड़दंग सामने आ रहा है, छात्र सड़क पर डीजे के साथ निकलते थे। काशी एक अलग तरह का विश्वविद्यालय है यहां पर बड़ी संख्या में लोग आते हैं।
चाहे दर्शन के लिए हो या इलाज। यूनिवर्सिटी की इमेज ऐसी हो रही थी यहां कि चीजें व्यवस्थित नहीं हैं। उन्होंने लिखा, होली पर प्रतिबंध, वह भी काशी में…ये परिपत्र है या कोई तुगलकी फरमान…!! कहीं ये विश्वविद्यालय के नाम से “हिन्दू” शब्द हटाने कि शुरुआत तो नहीं…!! इतना ही नहीं उन्होंने लिखा कि क्या होली हुड़दंग है। उनका कहना है कि भोले की काशी और उसके भी शिक्षा मंदिर में “संगीत बजाना पूर्णतया प्रतिबंधित” है। आप नहीं मनाएं ये तर्क संगत है लेकिन किसी और ने होली मनाई तो कार्यवाही होगी, क्या ये न्याय संगत है, क्या जिहादी जामिया की राह चल पड़ा काशी का हिन्दू विश्वविद्यालय …!! उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन को यह तुगलकी फरमान वापस लेना होगा।
लेकिन आपने होली मना ली तो खैर नहीं है क्यों…उन्होंने कहा कि जहां भगवान राम, श्रीकृष्ण और शंकर की पवित्र धरती है वहां पर होली खेलने से मना किया गया। बीएचयू द्वारा ऐसे त्योहार को प्रमोट करना चाहिए। सभी के साथ ये पर्व मनाना चाहिए. वहीं उसके पीछे ताकते हैं। सेक्यूलर का डंक है। होली मात्र उत्सव नहीं, विश्व भर में सामाजिक सद्भाव का मंत्र भी है। प्रतिबन्ध और वह भी सनातन भारत में! इसे वापस लेना होगा। विहिप के प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि कुलपति जी आपको फरमान वापस लेना चाहिए। उन्होंने छात्रों से कहा कि ऐसे तुगलकी फरमान के खिलाफ डंका बजाएं.इसके बाद प्रॉक्टर के आदेश का उल्लंघन करते हुए छात्र-छात्राओं ने जमकर होली खेली।