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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पर लिखी गई किताब को लेकर ट्विटर पर ही लड़ बैठे उनके बेटी व बेटा
नई दिल्ली। आपको बता दें कि जनवरी 2021 में #पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के आत्मकथा की आखिरी कड़ी “द प्रेसिडेंसियल इयर्स” का प्रकाशन होने वाला है। लेकिन उनके बेटे व लोकसभा सांसद अभिजीत मुखर्जी ने इस किताब के प्रकाशन पर रोक लगा दी है। उनका कहना है कि वह प्रकाशित होने से पहले ही इस किताब को पांडुलिपि में देखना चाहते हैं तो वहीं उनकी बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी यह चाहती हैं कि किताब का प्रकाशन ज्यों का त्यों किया जाए। इसी संस्मरण को लेकर पूर्व राष्ट्रपति के बेटे व बेटी में ट्विटर पर सार्वजनिक रूप से ज़ोरदार बहस हो गई है। अभिजीत का कहना यह है कि यदि उनके पिता आज जीवित होते तो सर्वप्रथम किताब को पढ़ने की माँग करते इसीलिए वह भी ऐसा ही चाहते हैं जबकि बहन शर्मिष्ठा ने खुले तौर पर इसका विरोध किया है।
अभिजीत मुखर्जी ने ट्विटर पर किताब के पब्लिकेशन हाउस को टैग कर लिखा है कि ‘मैं, ‘The Presidential Memoirs‘ के लेखक का पुत्र, आपसे आग्रह करता हूँ कि संस्मरण का प्रकाशन रोक दिया जाए और उन हिस्सों का भी जो पहले ही चुनिंदा मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों पर मेरी लिखित अनुमति के बिना चल रहे हैं। चूँकि मेरे पिता अब नहीं रहे तो मैं उनका पुत्र होने के नाते पुस्तक के प्रकाशन से पहले उसकी फाइनल प्रति की सामग्री को पढ़ना चाहता हूँ क्योंकि मेरा मानना है कि यदि मेरे पिता जीवित होते तो उन्होंने भी यही किया होता’।
वहीं शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी अपने भाई अभिजीत का विरोध करते व उनको टैग करते हुए ट्विटर पर यह लिखा कि ‘कृपा करके वह पुस्तक के प्रकाशन में किसी भी प्रकार की बाधाएँ डालने का प्रयास न करें। अतः उन पर सस्ती लोकप्रियता पाने का भी आरोप लगाया है और कहा है कि उनके पिता की किताब के साथ कांट-छांट करना उनके सिद्धांतों के खिलाफ़ होगा।
अभिजीत मुखर्जी ने ट्विटर पर किताब के पब्लिकेशन हाउस को टैग कर लिखा है कि ‘मैं, ‘The Presidential Memoirs‘ के लेखक का पुत्र, आपसे आग्रह करता हूँ कि संस्मरण का प्रकाशन रोक दिया जाए और उन हिस्सों का भी जो पहले ही चुनिंदा मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों पर मेरी लिखित अनुमति के बिना चल रहे हैं। चूँकि मेरे पिता अब नहीं रहे तो मैं उनका पुत्र होने के नाते पुस्तक के प्रकाशन से पहले उसकी फाइनल प्रति की सामग्री को पढ़ना चाहता हूँ क्योंकि मेरा मानना है कि यदि मेरे पिता जीवित होते तो उन्होंने भी यही किया होता’।
वहीं शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी अपने भाई अभिजीत का विरोध करते व उनको टैग करते हुए ट्विटर पर यह लिखा कि ‘कृपा करके वह पुस्तक के प्रकाशन में किसी भी प्रकार की बाधाएँ डालने का प्रयास न करें। अतः उन पर सस्ती लोकप्रियता पाने का भी आरोप लगाया है और कहा है कि उनके पिता की किताब के साथ कांट-छांट करना उनके सिद्धांतों के खिलाफ़ होगा।