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भारत के ‘ भारत ‘ होने का इतिहास आखिर कैसे हुआ भारत का नामकरण
भारत के ‘ भारत ‘ होने का इतिहास आखिर कैसे हुआ भारत का नामकरण
रि. रविन्द्र तिवारी | 03-06-2020

सुप्रीम कोर्ट में अजीबोगरीब याचिकाएं सुनी जाती है परंतु अफसोस की अब भारत को भारत कहने के लिए भी याचिका का सहारा लेना पड़ रहा है। दरअसल बात यह है कि हाल ही के दिनों में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका स्वीकार की जिसमें देश के अग्रेंजी नाम इंडिया (india) को बदल कर भारत (BHARAT)करने की याचना की गई है।इस याचिका की सुनवाई 2 जून दिन मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष होनी थी,परंतु चीफ जस्टिस के अवकाश पर होने के कारण इसकी सुनवाई स्थगित कर दी गई। दिल्ली के रहने वाले नमः नामक एक व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर निवेदन किया है कि भारत का नाम इंडिया ना होकर भारत किया जाए क्योंकि यह गुलामी का प्रतीक है। # भारत के भारत होने का इतिहास
संवैधानिक स्थिति
भारत के संविधान के अनुच्छेद 1 में इसका वर्णन है, जिसमें कहा गया है भारत अर्थात इंडिया राज्यों का संघ होगा। याचिकाकर्ता ने इंडिया शब्द पर आपत्ति करते हुए संविधान से इसे हटाने का निवेदन किया है जिसके स्थान पर भारत या हिंदुस्तान करने की याचना की है।
देश का नाम भारत कैसे पड़ा?
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देश को भारत ,हिंदुस्तान ,इंडिया, आर्याव्रत, जंबूद्वीप और हिंद आदि नामों से जाना जाता हैे।परंतु आधिकारिक तौर पर इसे भारत हिंदुस्तान और इंडिया नाम से जाना जाने लगा।देश का नाम भारत कैसे पड़ा इसके विषय में अनेक विद्वानों के अनेक मत हैं जिनमें प्रमुख रूप से कुछ विद्वान दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत के नाम से और कुछ विद्वान ऋषभदेव और जयंती के पुत्र भरत के नाम से जोड़ते हैं।
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यह वही ऋषभदेव जी हैं जिन्होंने जैन धर्म की नीव रखी थी। ऋषभदेव महाराजा नाभि और मेरु देवी के पुत्र थे। ऋषभदेव का विवाह इंद्र देव की पुत्री जयंती से हुआ, और सौ पुत्रों का जन्म हुआ जिनमें सबसे बड़े भरत थे। भरत चक्रवर्ती सम्राट हुए और इन्हीं के नाम पर देश का नाम भारत पड़ा। इससे पहले देश का नाम आजनाभवर्ष था। क्योंकि महाराजा नाभि का एक नाम आजनाभ भी था।
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पुरुवंश के राजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत की गणना ‘महाभारत’ में वर्णित सोलह सर्वश्रेष्ठ राजाओं में होती है। कालिदास कृत महान संस्कृत ग्रंथ ‘अभिज्ञान शाकुंतलम’ के एक वृत्तांत अनुसार राजा दुष्यंत और उनकी पत्नी शकुंतला के पुत्र भरत के नाम से भारतवर्ष का नामकरण हुआ।
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मरुद्गणों की कृपा से ही भरत को भारद्वाज नामक पुत्र मिला। भारतद्वाज महान ऋषि थे। चक्रवर्ती राजा भरत के चरित का उल्लेख महाभारत के आदिपर्व में भी है। पुराणों के भौगोलिक विवरणों के अनुसार भारतवर्ष जम्बूद्वीप के इलावृत्तवर्ष में स्थित मेरूपर्वत अर्थात् पामीर नाट के दक्षिण में बसा है और आज भी भारत अफगानिस्तान स्थित पामीर पर्वतमाला के दक्षिण में स्थित है। पुराणों में भारतवर्ष के जिन पर्वतों, नदियों, सरोवरों, तीर्थों तथा सागरों का वर्णन किया गया है वे आज भी भारतीय उप महाद्वीप में मौजूद हैं।
देश का नाम इंडिया कैसे पड़ा
नदी का दूसरा नाम इंडस वैली भी कहा जाता था। सिंधु घाटी की सभ्यता रोम की सभ्यता की तरह प्रसिद्ध थी और पूरे देश में फैली हुई थी। इंडस वैली के कारण ही देश का नाम इंडिया पड़ा।
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