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याद करो कि वही हो तुम….? lovely poetry in hindi
याद करो कि वही हो तुम….? lovely poetry in hindi
याद करो कि वही हो तुम….? poetry hindi love
lovely poetry in hindi
तुमने कह तो दिया कि खुश हो..
पर हो कहाँ…?
क्या ये चकाचौंध ही तुम्हारी खुशी है.. ?
तो फिर तुम खुश कहाँ…?
एक दिन ये सपना टूट जाएगा ..!
एक दिन ये चकाचौंध भरी लाइट बुझ जाएँगी…
फिर क्या करोगे…?
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खुशी ढूंढोगे….पर वो तो खो गयी है..!
या यूं कह लो इस चकाचौंध में सो ग़ई है..।
याद है पहले हम रोज़ हँसते थे। रोज़ खिल उठते थे , क्योंकि तब खुशी की वजह नहीं ढूंढनी होती थी…!
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लाइट आने की ख़ुशी…. मां के खाने की महक की खुशी… वो अंधेरे में छुप्पन- छुपाई की खुशी ..दादी-नानी की कहानी ,जो किस्से सुने थे उनकी जुबानी ,उनके डांट की खुशी…ठंडी में ठंडे पानी से नहाने की खुशी , गर्मीयों में घुमने जाने की खुशी , बरसात के पानी में कागज की नावों को चलाने की खुशी.. ..!
वो लाइट जाने पर ना पढ़ने की खुशी .
मोमबत्ती को जला कर पिघलते हुए देखने की खुशी..!
बेबाक हँसने की वो खुशी कहीं खो गयी है..!
अब 24 घण्टे लाइट तो है पर फिर भी अंदर घना अंधेरा है..!
माँ के हाथ का खाना है पर उसमें भी ठंड का बसेरा है..!
खेलने को घर तो है ,पर वहाँ कौन अपना है..?
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दादी-नानी की कहानी तो है पर हमारे बीच वो कहाँ ज़िंदा हैं..?
ठंड तो है पर अब यहाँ पानी कहाँ ठंडा है..?
छुट्टीयाँ तो हैं पर कही जाने की वह खुशियाँ कहाँ है…?
poetry hindi love
कागज तो हैं पर कश्ती बनाने की वह रवानी कहाँ है ..?
पढ़ते तो वैसे ही है , लाईटें भी कटती हैं कभी कभी , लेकिन अब वो जिंदगानी कहाँ है….?
“तुमने कहा की खुश हो तुम”
“लेकिन फिर सोचना कि क्या सच में वही हो तुम…?”