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कभी लौट के न आने वाले पति की आस में अब भी बैठी हैं शांति, चमोली त्रासदी में हो चुकी है मौत
उत्तराखंड। उत्तराखंड में पिछले 7 फ़रवरी को आई आपदा से हर कोई बख़ूबी वाकिफ़ है जिसमें लगभग हज़ारों लोगों ने अपनी जान गँवा दी। मगर आज हम आपको एक ऐसे मामले के बारे में बताने जा रहे हैं जिसको सुनकर हर किसी की आँखों में आँसू आ गए। दरअसल उत्तराखंड के तपोवन में किराए के मकान में रहने वाली एक महिला शांति देवी ने आपदा में अपने पति सत्य प्रसाद पुरोहित को खो दिया जो तपोवन जल विद्युत परियोजना के बैराज साइड में कार्यरत थे।
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लेकिन सदमे में होने के कारण शांति इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रही हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि उनके पति अब भी ज़िंदा हैं और अपने बच्चों से मिलने एक दिन ज़रूर आएँगे। शांति देवी अपने परिवार वालों के साथ तपोवन में किराए के फ़्लैट में रहती हैं जिसमें उनके तीन बच्चे और एक बुज़ुर्ग ससुर हैं। परिजनों का सत्य प्रसाद के लिए रो-रोकर बुरा हाल है और वे पूरी तरह से इस सदमे से अभी तक उबर भी नहीं पाए हैं।
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शांति देवी ने आगे कहा कि जिस मलबे के नीचे उनके पति दबे हुए थे उसको हटाने में लापरवाही बरती गई है। यदि समय रहते मलबा हटा दिया गया होता तो आज उनके पति उनके बीच मौजूद होते ऐसा आरोप शांति देवी द्वारा लगाया गया है। उन्होंने उस कंपनी पर भी कुछ संगीन आरोप लगाते हुए कहा है जिसमें उनके पति काम करते थे कि सैलरी के नाम पर चार महीने से उन्हें एक रूपए भी नहीं मिला है।
साथ ही उन्होंने बताया कि कुछ महीने पहले काम के दौरान ही उनके पति को चोट लगी थी मगर कंपनी ने उसके इलाज तक के लिए उन्हें पैसा नहीं दिया। आपको बता दें कि ऋषिगंगा आपदा के आज 11 दिन बाद भी 146 लोगों का कोई पता नहीं लग पाया है और लगभग 58 लोगों ने त्रासदी में अपनी जान गँवा दी।